Saturday, May 12, 2007

Woh college ke din...

वो कोलेज़ के दिन....

वो कोलेज़ के दिन....

कुछ बाते भुली हुई,
कुछ पल बीते हुए,

हर गलती का एक नया बहाना,
और फिर सबकी नज़र मे आना,

एगज़ाम की पुरी रात जागना,
फिर भी सवाल देखाके सिर खुजलाना,

मौका मिले तो क्लास बंक मारना,
फिर दोस्तो के साथ कन्टीन जाना

उसकी एक झलक देखने रोज कोलेज़ जाना,
उसको देखते देखते अटेन्डस भूल जाना,

हर पल है नया सपना,
आज जो टुटे फिर भी है अपना,

ये कोलेज़ के दिन,
इन लम्हो मे जिन्दगी जी भर के जीना,

याद करके इन पलो को,
फिर जिन्दगी भर मुस्कुराना...........

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